हम जो डोनेशन करते हैं उसके जरिये भी हम टैक्स कटौती का लाभ उठा सकते हैं। बता दें कि इनकम टैक्स एक्ट 1961 के धारा 80जी के तहत करदाता को डोनेशन पर टैक्स डिडक्शन का लाभ मिलता है। इसमें टैक्सपेयर्स अलग-अलग फंड या फिर चैरिटी संस्थानों को जो डोनेशन देते हैं तो वह उसके लिए टैक्स डिडक्शन के लिए क्लेम कर सकते हैं।
बता दें कि इनकम टैक्स एक्ट, 1961 के सेक्शन 80G के तहत टैक्सपेयर्स डोनेशन की गई राशि पर टैक्स डिडक्शन (Tax Deduction) के लिए क्लेम कर सकते हैं। इसमें करदाता तब ही क्लेम कर सकते हैं जब वह किसी फंड में या फिर चैरिटी में कोई डोनेशन देते हैं।
कितना कर सकते हैं टैक्स डिडक्शन
इनकम टैक्स एक्ट, 1961 के सेक्शन 80G के तहत करदाता डोनेशन पर टैक्स डिडक्शन का लाभ आसानी से उठा सकते हैं। जिसमें करदाता को 50 फीसदी से 100 फीसदी तक का लाभ मिल सकता है।
यह लाभ डोनेशन के शेयर पर आधारित होता है। बता दें कि टैक्स डिडक्शन के लिए क्लेम करने से पहले टैक्सपेयर्स को कुछ बातों का विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता है।
इन बातों का जरूर रखें ध्यान
- अगर आप डोनेशन में भोजन, कपड़े, दवाइयां आदि देते हैं तो इसके लिए टैक्स डिडक्शन के लिए क्लेम नहीं किया जा सकता है। 80जी धारा के तहत यह कर छूट के लिए मान्य नहीं है।
- टैक्सपेयर्स 2,000 रुपये से ज्यादा का डोनेशन कैश में करता है तब भी वह टैक्स कटौती का लाभ नहीं उठा सकता है।
डोनेशन सर्टिफिकेट है जरूरी
करदाता अगर कर कटौती का फायदा उठाना चाहता है तो इसके लिए करदाता को Form 10BE में डोनेशन का सर्टिफिकेट पाना जरूरी है। इस सर्टिफिकेट में संस्था की जानकारी शामिल होनी चाहिए, जिस संस्था को डोनेशन दिया गया है।
इसके अलावा पैन, संस्था का नाम, सेक्शन जिसके तहत डोनेशन उपलब्ध है, डोनेशन की राशि आदि बाकी सभी डिटेल्स होना बहुत जरूरी है।
टैक्सपेयर को यह सर्टिफिकेट सुरक्षित रखने की जरूरत है। इसके अलावा उसे संस्था से मिलने वाली डोनेशन रिसिप्ट को भी संभाल कर रखना चाहिए। बता दें कि डोनेशन रिसिप्ट में नाम, पता, दानकर्ता का नाम, राशि और इनकम टैक्स डिपार्टमेंट से मिलने वाली रजिस्ट्रेशन नंबर होना चाहिए।
जब भी करदाता इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल करता है उस वक्त करदाता को यह सब जानकारी देनी जरूरी होती है।